लेखनी कहानी -16-Dec-2022
सांवरे
उसकी नजरें जब भी किसी से मिलती उसे सभी की नजरों में एक सवाल या एक बेज्जती ही नजर आती। आखिर क्यों उसका रंग सांवला है। यह सवाल वह खुद से करना चाहती भी नहीं थी फिर लोगों की नजरें उसके ज़हन में ये सवाल खड़ा कर देती थी।
रूही एक सामान्य ही परिवार में पली बढ़ी थी। किन्तु अपने परिवार के अन्य लोगों से उसका रंग कुछ अलग होने की सज़ा उसे हर वक्त इस तरह दी गई जैसे यह एक सामान्य सी बात हो। काली माई, काली कलूटी, कोयला, इत्यादि शब्दो और अनेकों मजाकों को उसके जीवन का हिस्सा बना दिया गया था। मानसिक तनाव उसके रंग को लेकर बचपन से ही दिया जाने लगा था। ऐसे में अक्सर वह अपनी मां से पूछती मां जब सब का रंग गोरा है तो मेरा रंग क्यों काला है। मां भी जवाब में यह बतातीं बेटा तेरे पिछले जन्मों के कर्मों के कारण यह हुआ है। अब तू कभी कुछ ग़लत ना करना ताकि आगे के जीवन में तुझे कोई समस्या ना हो और अगली बार जब तेरा जन्म हो तो तेरा रंग सांवला ना हो। रूही ने अपनी मां की इस बात को बचपन से ही गाढ़ बांध अपना संपूर्ण जीवन इसी बात के आधार पर जिया कि यह उसके कर्मों की सजा है वह इसलिए ऐसी दिखती है। जब तलक तब तक की वह पढ़ लिखकर एक डॉक्टर नहीं बन गई। डाक्टर बनने पर रूही को पता चला कि लोगों का रंग गोरा या काला होना हमारी त्वचा में पाए जाने वाले मेलेनिन नामक वर्णक की मात्रा के आधार पर तय होता है। जिसके शरीर/त्वचा में मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है, वह काला दिखता है व जिसकी त्वचा में मेलेनिन की मात्रा कम होती है, वह गोरा दिखता है।
आज रूही आठ सालों बाद अपने घर वापस जा रही है। 12 कक्षा के बाद वह घर से बाहर ही रही, क्योंकि अपने घर वालों के ताने और रंग के चलते शादी के लिए पढ़ते दबाव से वह परेशान रहती थी। रूही को लग रहा था कि 8 साल बाद वह अपने घर लौट रही है तो अब बहुत कुछ बदल चुका होगा किंतु उसके लौटने के चंद घंटों बाद ही उसे यह समझ में आया कि पढ़ाई लिखाई तुम्हारा जीवन बदल सकती है किंतु तुम्हारे घर वालों के विचारों को नहीं। रूही घर पहुंचकर सभी से मिली रही थी कि उसकी भाभी को उससे दूर रहने की सलाह दी गई क्योंकि वह गर्भवती थी और सभी को डर था कि रूही की परछाईं उस पर पढ़ने पर होने वाला बच्चा भी काला ना हो जाएं। रूही उस वक्त चुप रह गई एक कड़वा घूट कर किंतु कितने समय के प्रति कुछ समय बाद फिर वही बात वही रंग उसके सामने खड़ा था जब उसके चाचा ने बोला कल तुम्हें लड़के वाले देखने आने वाले हैं अपनी चाची के साथ जाकर पार्लर से मेकअप करवा लेना ताकि कुछ तो सही दिखो। रूही अपने चाचा की है बात सुनकर सनबना गई और गुस्से में बोलने लगी आखिर कैसे दिखती हूं मैं क्या कमी है मुझमें जो मुझे पार्लर जाकर मेकअप करवाना पड़े। उसके चाचा हंसते पर बोले तुम्हें नहीं दिखता क्या अंधी भी हो गई हो काले होने के साथ ही साथ।
रोही गुस्से में तिलबिलाते हुए अपनी जगह से उठती है और कहती है। हां काली हूं दिखता है मुझे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूरी जिंदगी मुझे मेरे रंग के आधार पर सजा सुनाई जाए जिंदगी जीने के आजादी छीन लोगों की गुलामी और लोगों के हंसी के पात्र बनने के लिए मजबूर किया जाए। उसकी चाची बोलती है अरे ऐसे क्यों बोल रही हो क्या गलत बोला है तुम्हारे अच्छे के लिए ही तो सोच रहे हैं। रूही कहती है हां बहुत अच्छी के लिए सोचा है। मेरे रंग को मेरी मजबूरी का कारण बना कर रख दिया है बचपन से यह मुझे एक दोषी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया गया है। रूही के पिता रूही पर हाथ उठाते हुए कहते है तमीज नहीं रही लोगों से बात करने की। रूही कहती हैं हमारा जितना चाहते हो उतना मारो क्योंकि आज तक मेरे रंग को लेकर मुझे मारा गया आज हाथ उठाकर मारकर कौन सा बड़ा काम कर रहे हो। जानते हैं जिस सावले रंग को आप लोग मेरे लिए मेरा दोष कहते है, वही सांवला रंग आपके ठाकुर जी का भी था जिन्हें आप रोज अपने जीवन में पूजते है। अगर मैं पापी थी तो शायद वह ठाकुर जी भी पापी होंगे जिन्होंने इस दुनिया के उधार के लिए सांवले रंग में जन्म लिया। रूही की मां उसे जबरदस्ती हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगती है। रूही अपनी मां के कहने पर वहां से चली जाती है।
अगले दिन रोहित सुबह ही अपना सामान लेकर वापस जाने लगती है तब उसे अपने परिवार वाले बाहर मिलते हैं घर के आंगन में तो वह कहती है कि मैंने आते हुए सोचा था कि 8 सालों में यहां कुछ तो बदला होगा किंतु कुछ नहीं बदला यह देखकर मुझे हैरानी नहीं हुई लेकिन दुख जरूर हुआ। चलती हूं शायद कोई रूही का रंग आप के लिए एक पाप था तभी आप मेरी कामयाबी से ज्यादा इसको महत्व दे पाएं।
राखी सरोज
नई दिल्ली
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 08:45 PM
शानदार भाग
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Abhinav ji
17-Dec-2022 09:05 AM
Very nice
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